वो भोली सूरत जो ईमानदारी और मासूमियत के प्रतिक थे, उनकी वो खिलखिलाती हंसीं,वो पांव जिसे कभी स्कूल जाते वक़्त देखा था, वो चेहरे जिनकी मुस्कुराहट दिल को सुकून देती थी,वो हाथ जिन्हें उंगली पकड़ कभी चलना सिखाया था, उनके स्कूल से लौटने का इंतेजार...
अचानक सब खत्म हो गया
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